कहानी का शीर्षक: “सच्ची दोस्ती”
एक बार की बात है, दो दोस्त, राहुल और अजय, एक छोटे से गांव में रहते थे। दोनों की दोस्ती बचपन से थी और वे हमेशा एक-दूसरे के साथ रहते थे। उनकी दोस्ती गांव में मिसाल थी।
एक दिन, गांव के पास के जंगल में एक मेला लगा। दोनों दोस्त मेले में घूमने के लिए उत्साहित थे। वे अपने परिवार की अनुमति लेकर मेले में जाने लगे। रास्ते में उन्हें एक गहरी नदी पार करनी थी। उन्होंने पहले भी यह नदी कई बार पार की थी, लेकिन इस बार पानी का बहाव तेज़ था।
राहुल ने कहा, “अजय, हमें थोड़ा संभलकर पार करना चाहिए।”
अजय ने हंसते हुए जवाब दिया, “अरे दोस्त, तुम चिंता मत करो। हम साथ हैं, तो कोई भी मुश्किल नहीं आ सकती।”
दोनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ा और नदी पार करने लगे। बीच में पहुंचते ही राहुल का पैर फिसल गया और वह बहाव में बहने लगा। अजय ने तुरंत उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन राहुल का हाथ फिसल गया।
अजय ने बिना देर किए एक बड़ा डंडा पकड़ा और उसे राहुल की तरफ बढ़ा दिया। राहुल ने डंडे को पकड़ लिया और अजय ने पूरी ताकत से उसे खींचा। कुछ ही देर में राहुल सुरक्षित किनारे पर पहुंच गया।
राहुल ने राहत की सांस ली और अजय को गले लगाते हुए कहा, “अगर आज तुम नहीं होते, तो मैं शायद डूब ही जाता।”
अजय ने मुस्कुराते हुए कहा, “दोस्त, दोस्ती का यही मतलब है। हम एक-दूसरे की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।”
दोनों दोस्तों ने एक-दूसरे की जान बचाने की इस घटना को कभी नहीं भुलाया। उन्होंने सीखा कि सच्ची दोस्ती वही होती है, जो मुश्किल वक्त में काम आए।
कहानी से सीख:
सच्ची दोस्ती का मतलब सिर्फ खुशियों में साथ होना नहीं है, बल्कि कठिनाइयों में भी एक-दूसरे का सहारा बनना है। एक सच्चा दोस्त वही होता है जो आपके लिए हर मुश्किल का सामना करने को तैयार हो।