कहानी का शीर्षक: “वफादार कुत्ता”
एक गांव में रमेश नाम का एक व्यक्ति रहता था। रमेश एक ईमानदार और दयालु व्यक्ति था। वह अपने जीवन में हमेशा दूसरों की मदद करने में विश्वास रखता था। उसके पास शेरू नाम का एक कुत्ता था, जो बहुत वफादार और समझदार था। शेरू हमेशा रमेश के साथ रहता और उसकी रक्षा करता था।
रमेश के घर के पास एक जंगल था। उस जंगल में जंगली जानवर भी रहते थे, जिनसे गांव के लोग अक्सर डरते थे। एक दिन, रमेश ने देखा कि उसके घर के पास एक अजीब सी हलचल हो रही है। शेरू भी असहज महसूस कर रहा था और लगातार भौंक रहा था। रमेश ने सोचा कि शायद कोई जंगली जानवर घर के पास आ गया है।
रमेश ने शेरू को बाहर जाने से मना किया, लेकिन शेरू की बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी। अंत में, शेरू रमेश की बात नहीं मान सका और जंगल की ओर भाग गया। रमेश भी उसके पीछे दौड़ा। जंगल के बीच पहुंचकर रमेश ने देखा कि एक छोटा बच्चा जंगल में फंसा हुआ है और एक बड़ा भालू उसकी ओर बढ़ रहा है।
रमेश को समझ नहीं आया कि वह क्या करे, लेकिन शेरू ने तुरंत समझदारी दिखाई और भालू के सामने खड़ा हो गया। उसने भालू को भौंककर डराने की कोशिश की, लेकिन भालू अपनी जगह से हिला नहीं। रमेश ने देखा कि शेरू खतरे में है, लेकिन शेरू ने हार नहीं मानी। उसने भालू पर हमला कर दिया और अपनी जान की परवाह किए बिना बच्चे की रक्षा की।
काफी संघर्ष के बाद, शेरू ने भालू को जंगल की ओर भगा दिया। बच्चे की जान बच गई, और रमेश ने शेरू को गले लगा लिया। शेरू घायल हो गया था, लेकिन उसने अपने मालिक और उस बच्चे की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की।
रमेश ने उस बच्चे को उसके माता-पिता के पास सुरक्षित पहुंचाया और शेरू को अपने घर वापस ले आया। उसने शेरू की चोटों का इलाज किया और उसके साहस और वफादारी के लिए उसकी खूब तारीफ की।
इस घटना के बाद, शेरू गांव में हीरो बन गया। गांव के सभी लोग उसकी वफादारी और बहादुरी के कायल हो गए। रमेश को गर्व था कि उसके पास शेरू जैसा वफादार साथी था।
कहानी से सीख:
वफादारी और साहस सबसे बड़े गुण होते हैं। एक सच्चा साथी कभी भी कठिनाइयों से नहीं डरता और हमेशा अपने प्रियजनों की रक्षा के लिए तैयार रहता है। शेरू की तरह, हमें भी अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो।