school bus ki kahani
स्कूल बस की कहानी गांव से थोड़ी दूर पर एक स्कूल था जिस स्कूल में बहुत सारे बच्चे पढ़ने जाते थे वह स्कूल जूनियर था क्योंकि उसमें छोटे बच्चे पढ़ते थे
उसी स्कूल का बस ड्राइवर थोड़ा मुंडी था वह ड्राइवर डेली बच्चे लोगों को उनके स्कूल पहुंचाता है और उन्हें शाम को घर पर छोड़ जाता परंतु उसके मैं एक कमी थी
कि वह बस कान में ईयर फोन लगाकर चलाता था जिससे पीछे वाले गाड़ी का होरन सुनाई नहीं देता था बच्चे बहुत डर भी जाते थे कभी कभी परंतु ड्राइवर को
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था ड्राइवर को ऐसा लगता था कि कभी कोई घटना घटेगी ही नहीं उसी गांव में एक रामू नाम का आदमी भी रहता था उसके दो बच्चे थे
दोनों बच्चे उसी स्कूल में पढ़ते थे रामू रोज बस के पास अपने बच्चों को ले जाकर छोड़ता था और स्कूल बस में बैठकर बच्चे स्कूल जाते थे रामू एक दिन सोचने लगा
यह बस वाला जब देखो तब कान में यार फोन लगाया रहता है इससे मेरे बच्चे सेफ है या नहीं मुझे समझ में नहीं आ रहा है तभी एक दिन अचानक रेलवे के
पटरी के पास से बस गुजर रही थी और उधर से ट्रेन आ रही थी रेलवे क्रॉसिंग पर कोई फाटक भी नहीं था जिससे यह पता चलता की ट्रेन आ रही है ट्रेन हरण
बजा रही थी परंतु ड्राइवर को सुनाई नहीं दे रहा था क्योंकि ड्राइवर तो कान में ईयर फोन लगाया हुआ था इस तरह बस में हल्का सा टच कर गया ट्रेन बच्चे तो
सारे बच गए थोड़े मोड़े जख्मी भी हुए इसलिए दोस्तों कभी भी अपने बच्चों को स्कूल भेजें तो पूरे सेफ्टी के साथ यह देख ले कि ड्राइवर कैसा है ड्राइवर ठीक से
गाड़ी चलाता है या नहीं चलाता अपनी काम ठीक से करता है या नहीं करता क्योंकि सवाल बच्चों का है तो कैसी लगी है कहानी दोस्तों हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा आप सभी दोस्तों को अपना कीमती समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद