real life inspirational stories in hindi
एक संदीप नाम का लड़का रहता था वह स्कूल में पढ़ता था उसका पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता था वह दिन रात सपने देखा करता था उसे लगता था कि मेरे सपने बहुत ही
आसानी से पूरे हो जाएंगे इसीलिए वह पढ़ाई बिल्कुल करता ही नहीं था स्कूल में जाता रोजाना मुर्गा बन जाता क्योंकि उसे कुछ आता ही नहीं था 1 दिन संदीप परेशान होकर
अपने घर वालों से बोला मैं अब पढ़ाई नहीं करूंगा मुझे बड़ा आदमी बनना है इसीलिए मैं बड़ा आदमी बन कर ही दिखाऊंगा संदीप के घर वाले कहने लगे कि बिना पढ़ाई के
तुम बड़े आदमी नहीं बन सकते हो पर संदीप को तो सिर्फ बड़ा ही आदमी बनना था संदीप जब काम करने के लिए गया तो उससे गिरवा माटी का काम कराया जाना लगा
संदीप को काम करने में बिल्कुल मन नहीं लगता था वहां भी कहने लगा मुझे बड़ा आदमी बनना है सभी लोग उस पर हंसने लगे और बोले तुम पढ़ाई लिखाई किए ही नहीं
हो तुम्हें कुछ पता ही नहीं है तो तुम बड़े आदमी कैसे बनोगे संदीप को सारी बातें समझ में आने लगी कि पढ़ाई लिखाई उतना जरूरी है जितना कि हम सब चीज को समझने
लगे संदीप अपने घर भागा भगाया और अपने घर से बैग उठाकर पढ़ने आई करने के लिए अपने स्कूल जाने लगा संदीप हमेशा एक चीज अपने मन में रखता कि मुझे सिर्फ उतना ही पढ़ना है
जितना कि मैं सब की समस्या को और संदीप यह सोच कर पढ़ाई करना स्टार्ट कर दिया संदीप आठवीं क्लास में गया उसके बाद उसने डिसाइड किया कि अब मुझे पढ़ाई नहीं करना है
बल्कि मुझे अब बिजनेस करना है संदीप ने बिजनेस के लिए जगह-जगह पैसे फंसाने लगे परंतु हर जगह से नुकसान ही नुकसान संदीप इस बात से बहुत परेशान हो गया था कि मैं करूं तो क्या रुपया जहां भी बिजनेस करने जाता हूं
वहां मुझे घाटा ही होता है फिर संदीप ने डिसाइड किया कि मैं क्यों ना कोई एक काम करो जो काम में करना चाहता हूं संदीप को हमेशा बचपन से ही एक चीज पसंद था
कपड़े की दुकान करना संदीप ने अपना कपड़ा का दुकान खोल दिया ज्यादा उससे प्रॉफिट तो नहीं होता था परंतु इतना प्रॉफिट जरूर होता था जिससे उसका दाल रोटी का गुजारा हो
जाता था संदीप ने धीरे-धीरे होलसेल का मार्केट कर दिया जिसके कारण से अब उस एरिया की हर एक कपड़े के दुकान वाला उसी से कपड़े ले जाया करता था जिसे संदीप का हर दिन का टर्नओवर 50000 से ₹100000 तक का हो गया था
संदीप को अभी भी लग रहा था कि मैं अधूरा हूं क्योंकि मैंने तो अभी कुछ किया ही नहीं है संदीप ने होलसेल के साथ-साथ एक अपना फैक्ट्री भी कपड़े का बैठा दिया जिसमें कपड़े कटिंग सिलाई तक सभी चीज होती थी
संदीप ने हार नहीं माना लेकिन उसमें उसका थोड़ा सा नुकसान हुआ लेकिन संदीप नहीं आया और आगे ऊंचाइयों की तरफ बढ़ता गया आगे ऊंचाइयों की तरफ बढ़ते हुए संदीप का 1 दिन कपड़े की फैक्ट्री चल पड़ी और उससे
उसका प्रॉफिट होने लगा तो कहते हैं दोस्तों मेहनत हमेशा रंग लाती है फर्क नहीं पड़ता कि हम कितने तक पढ़े हैं फर्क पड़ता है कि हम जितना पड़े हैं उतना भी हमें नॉलेज है या नहीं है
दोस्तों दिखावा के लिए बिल्कुल पढ़ाई मत कीजिए पढ़ना यह तो अपने लिए क्योंकि हर वह इंसान जिसके पास पढ़ाई के वक्त एक्सपीरियंस होता है वही हमेशा आगे भी बढ़ता है
वरना पढ़ाई करने तो सभी लोग जाते हैं तो दोस्तों कैसी लगी स्टोरी हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा आप सभी दोस्तों को अपना कीमती समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद