moral story in hindi for kids
एक समय की बात है एक मणिपुर नाम का एक काम था उस गांव में सभी लोग हंसी-खुशी रहते थे उस गांव का एक राजा था उस राजा का नाम हेमंत चंद्र था एक बहुत ही नेक और दयालु इंसान था
उसके कोई बच्चे नहीं थे उसने कई देशों पर लड़कर विजय प्राप्त किया था एक बार अचानक महाराज हेमंत चंद्र युद्ध जीतकर वापस आ रहे थे तभी उन्हें खबर मिलती है कि उन्हें एक बालक हुआ है
तो वह बहुत खुश होते हैं और सभी गांव वासियों को अपने अपने हाथों से एक एक वस्त्र और एक मिठाई का डिब्बा भेंट करते हैं देखते ही देखते महाराज हेमंत चंद्र बूढ़े हो जाते हैं और उनका बेटा जवान हो जाता है
उन्होंने अपने बच्चे का नाम शिवाजी रखा था जैसे ही दूसरे देश के कि राजा को पता चलता है कि मणिपुर का राजा हेमंत चंद्र बीमार है वह उस पर हमला कर देते हैं और विजय प्राप्त कर लेते हैं
उन्होंने राजा को और उनकी पत्नी को तो मार देते हैं पर उन्हें उस राज्य का दो अनमोल चिराग नहीं मिलता है पहला महाराज हेमंत चंद्र का बेटा और दूसरा मणिपुर राज्य का खजाना शत्रु लोग
महाराज के बेटे को और खजाने को ढूंढने की बहुत कोशिश करते हैं पर वह दोनों ही नहीं मिलते फिर कुछ दिन बाद महाराज हेमंत चंद्र के बेटे का आंख खुलता है और वह देखता है कि वह एक गुफा में है
उस गुफा में चारों तरफ सोना ही सोना और हीरा मोती जेवरात से भरे पड़े हैं और बीच में महाराज का बेटा शिवाजी था वह आश्चर्य चकित हो जाता है कि मैं कहां पर हूं तभी बाहर से एक मनुष्य दिखाई पड़ता है
जो अंदर आ रहा था गुफा के तभी शिवाजी सोने का एक तलवार उठाते हैं और चला कर उसे मार देते हैं कभी वह दौड़ते हुए आता है और उसे तलवार लग जाती है फिर वह ध्यान से देखते हैं तो एक ऋषि मुनि रहते हैं
जिन्होंने शिवाजी की जान बचाकर यहां लाया था गुफा में वह ऋषि मुनि शिवाजी पर गुस्सा हो जाते हैं और श्राप देते हैं और बोलते हैं कि दुष्ट बालक मैंने तेरी जान बचाई और तूने मुझे ही मार दिया तू जानवर है
मैं तुझे श्राप देता हूं कि जब तक तुझे कोई पवित्र लड़की तुझ से प्रेम नहीं करेगी और तुझसे विवाह नहीं करेगी तब तक यह तेरा श्राप नहीं छूटेगा यह बोलकर ऋषि मुनि शिवाजी को एक भेड़िया बना देते हैं और मर जाते हैं
शिवाजी सुबह के टाइम में बाहर निकलने की कोशिश तो करते थे पर आसपास के गांव के लोग उन्हें मारने पर जाते थे इसकी डर से वह बाहर दिन में नहीं निकलते थे फिर एक बार ठंड की
रात आई और शिवाजी बाहर निकले क्योंकि उन्हें बहुत ठंड लग रही थी वह घूमते घूमते एक घर के पास पहुंचते हैं और उस घर के दरवाजे को खटखट आते हैं तभी उनमें से एक सुंदर सी बालिका बाहर आती है और शिवाजी को देखती है तभी वह देख डर जाती है शिवाजी को जैसे ही बालिका डरती है शिवाजी बोल पड़ते हैं आप मुझसे ना डरे मैं आपको कष्ट नहीं पहुंच जाऊंगा
वह बालिका बहुत सुंदर थे उसका नाम जास्मीन था वह हल्का फुल्का डरी और शिवाजी को घर के अंदर बुला ली वह लड़की घर में अकेले रहती थी क्योंकि उसके मां-बाप नहीं थे लड़की शिवाजी के लिए गर्म पानी करके लाती है
और उन्हें पीने के लिए देती है क्योंकि वह ठंड से बहुत ही कांप रहे थे जब शिवाजी ने गर्म पानी पी लिया तो उन्हें कुछ राहत मिली और उन्होंने जासमीन का शुक्रिया अदा किया फिर दोनों ही सो गए जब सुबह जास्मीन की नींद खुली तो
उसने देखा कि शिवाजी भेड़िया नहीं थे वहां पर उसने पूरा घर तलाश किया पर वह कहीं नहीं मिले वह बहुत ही उदास हो गई फिर उसकी दूसरी रात को फिर जास्मीन की दरवाजे पर खटखटा हर्ट हुई
उसने दरवाजा खोला उसने देखा कि शिवाजी भेड़िया फिर वापस आ गए हैं जास्मिन ने थोड़ा मुंह उदास करके शिवाजी को अंदर बुला लिया और गुस्से में डांटने लगी कि मैंने तुमको अपने घर में
रहने दिया और तुम बिना बताए मुझे वापस चले गए शिवाजी ने उनसे माफी मांगा और बोला कि मैं आपको बताए बिना नहीं जाऊंगा फिर जास्मीन की नींद खुलती है सुबह और वह देखती हैं
कि उनके सामने शिवाजी खड़े हैं तभी जास्मिन बोलती हैं यही पूछने के लिए खड़े हो ना कि मैं वापस जाऊं शिवाजी बोलते हैं हां तभी जास्मीन बोलती है जाओ मत बोलो ऐसा बोलो कि फिर वापस आओ शाम को फिर शाम होती है
और जासमीन शिवाजी की इंतजार करती है बहुत पर वह वापस नहीं आते हैं शाम को फिर उसके दूसरे दिन अचानक से सुबह सुबह शिवाजी चले आते जैसमिन के घर चले आते हैं वह बहुत ही घायल थे जासमीन या देखकर रो पड़ती है
और शिवाजी को घर के अंदर लाती है और उस पर मरहम पट्टी करती है और शिवाजी सो जाते हैं जब उनकी नींद खुलती है तो उनके पैर के पास जास्मीन सोई रहती है वह तुरंत ही उठते हैं और जासमीन से बोलते हैं
क्या तुम मुझसे शादी करोगी जास्मिन थोड़ा थोड़ा सोचती है कि यह तो एक जानवर है मैं इसे शादी कैसे कर सकती हूं लेकिन वह शिवाजी का दिल ना दुखा ने के कारण उनसे शादी करने के लिए मान जाती है
जैसे ही उनकी शादी हो जाती है राजकुमार शिवाजी अपने असली रूप में आ जाते हैं वह देख कर जास्मीन चौक में पड़ जाती है फिर शिवाजी उन्हें समझाते हैं सारी बातें फिर वह खुशी-खुशी रहने लगते हैं
उनके पास जो सोना था और कुछ जेवरात हीरा मोती उनसे वह लोगों ने उससे एक बिजनेस स्टार्ट किया और खुशी-खुशी रहने लगे