khir kisne khai hindi story
एक जंगल में एक लोमड़ी एक खरगोश और एक पांडा रहते थे तीनों एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त थे तभी पांडा बोला मुझे आज भूख लगी है मुझे कुछ खाना है तभी खरगोश बोला तुम तो पेटू हो हमेशा खाने के लिए ही सोचते हो तभी पांडा बोला अरे नहीं मैं तो आज कुछ मीठा खाने के लिए सोच रहा हूं khir kisne khai hindi story
तभी खरगोश बोला तो जंगल में जाओ मीठे मीठे फल खा लो तभी पांडा बोला नहीं मेरा कहने का मतलब वह नहीं है मेरा कहने का मतलब है क्यों ना हम लोग मिलकर खीर बनाएं खीर की बात सुनकर खरगोश और लोमड़ी के मुंह में पानी आ गया तभी खरगोश ने बोला ठीक है लोमड़ी को भेज दिया गया दूध लाने के लिए खरगोश चला khir kisne khai hindi story
गया चीनी लाने पांडा चला गया चावल लाने लोमड़ी जब गांव के तरफ गया तो उसने देखा किसान दूध निकालकर घर के अंदर गया तभी लोमड़ी वहां से दूध का मटका लेकर भाग आई खरगोश जब राशन की दुकान पर गया तो उसने देखा कि दुकान पर कोई नहीं था तो उसने चीनी की एक कड़ी लेकर भाग आया तभी पांडा ने
धान के खेत में जाकर उसने एक गठरी धान लेकर आया और उसे पीटा और उसकी चावल बनाया लोमड़ी ने लकड़िया इकट्ठा किया और कुछ पत्थर और उसका चूल्हा बना दिया फिर फिर अपने के लिए रख दिया थोड़ी देर बाद खीर तैयार हो गया फिर लोमड़ी ने बोली हम सब कितने गंदे हैं हम कभी नहाते नहीं है
आज चलो नहा दुआ कर खाएंगे उसकी बात सुनकर पांडा और खरगोश बोले ठीक है तभी नदी में नहाने चले गए लोमड़ी ने जैसे ही नदी में पैर डाला उसे बहुत ठंडा पानी लगा तभी लोमड़ी बोली मैं तो तालाब में नहाने जा रही हूं तुम लोग को इस में नहाना है तो नहा लो तभी खरगोश और पांडा दोनों नदी में कूद कूद कर नहाने लगे और नहाकर खीर के पास पहुंचे उन्होंने देखा कि खीर सारी खत्म हो गई है देखकर खरगोश और पांडा दोनों बहुत दुखी हुए और कहने लगे कि यह खीर लोमड़ी ही
खाई होगी तभी लोमड़ी भी तालाब से नहा कर वापस आती है और कहती है मैं तो अभी नहा कर आ रही हूं लगता है जंगल के किसी और जानवर ने हम सब का खीर खाया है तभी खरगोश बोलता है अभी पता चल जाएगा की खीर किस ने खाया है एक आदमी जानता है कि खेल किसने खाया है तभी लोमड़ी बोलती है कौन खरगोश बोलता है
यह मटका ही बताएगा मटके को लेकर नदी के किनारे चले जाते हैं फिर नदी में मटके को उल्टा डालकर खरगोश उस पर चढ़कर बोलता है मैं अगर जो शेर खाया होगा तो मैं इसमें डूब जाऊंगा मटका नहीं डूबता है खरगोश वापस आकर लोमड़ी को बोलता है अब तुम्हारी बारी अब तो मटके पर चढ़कर बोलोगे कि तुम खेत नहीं
खाए हो लोमड़ी डरी हुई कांपते हुए मटके पर चढ़ती है और बोलती ही रहती है तभी उसके पैर के कब का पहाड़ से मटके पर से गिर जाती है तभी पकड़ी जाती है लोमड़ी अपनी गलती की माफी मांगती है इसीलिए कहते हैं मित्रों कभी भी अपने दोस्तों को धोखा नहीं देना चाहिए जो कुछ भी हो मिलकर बांटकर खाना चाहिए