गरीब लडके की कहानी। g
सन 2004 , 4 अक्टूबर दिन मंगलवार सुहाना दिन था। 6: 00 बज रहे थे। तभी हेमू आंखें खुली हेमू उठा और कुदाल लेकर अपनी खेत की ओर चल पड़ा हेमू अकेला रहता था। gareeb ladke ki kahani
क्योंकि उसके मां और पिता को दुनिया छोड़ 4 साल हो गए थे तब केवल हेमू 10 साल का था तब से वह अकेला रहता है। हेमू इन 4 सालों में बहुत दु:ख से कभी-कभी तो हेमू भूखा ही सो जाता और कभी-कभी तो यह 10 साल क बच्चा हेमू दूसरों की खेतों में जाकर मेहनत मजदूरी करता था। gareeb ladke ki kahani
छोटी उमर होने के कारण और भूखे रहने पर हेमू ज्यादा काम नहीं कर पाता पर तभी लोग उसे पैसे नहीं देते पर खाने को 1या 2 रोटियां दे देते थे बेचारा है हेमू क्या करता जो मिलता वही खाकर रहता ऐसे ही दिन बितते चले गए फिर अचानक से 5 महीने बाद हेमू के चाचा सहर से वापस आए और रास्ते में हेमू उन्हे दिखता है। gareeb ladke ki kahani
पर वह हेमू को नहीं पहचान पाते हैं क्यों कि हेमू की दशा बहुत खराब हो चुकी थी। तभी हेमू ने अपने चाचा को देखा पर वो भी बदल चुके थे। उन्होंने अपनी दाढ़ी कटवा दी थी। जब हेमू ने देखा कि ये कौन आदमी है। लगता है। शहर से आ रहे हैं। हेमू उनके सामने जा कर खड़ा हो गया और बोला चाचा जी चाचाजी अपना बैग मुझे दे दीजिए। gareeb ladke ki kahani
मैं आपके घर पहुंचा दूंगा। उसके चाचा जी ने सोचा कि कोई गरीब बच्चा लगता है। देखने में कमजोर भी लगता है। इस बच्चे से क्या बैग उठवाया जाए इसको ऐसे ही पांच रुपया दे देता हूं। वह पैसे निकाल कर हेमू को देते है। और बोलते है।रहने दो बेटा ये लो कुछ पैसे खा लेना।
हेमू मना कर देता है। और बोलता है। मैं बिना काम किए किसी से पैसे नहीं लेता gareeb ladke ki kahani
और ये सुन कर चाचा जी मुस्कुराते हैं। और अपना छोटा एवं हल्का का बैग को दे gareeb ladke ki kahani
देते है। और घर की तरफ़ निकल पड़ते है। घर पहुंचने पर उसके चाचा उसे बोलते gareeb ladke ki kahani
है। चलो बेटा खाना खा लो फिर अपने पैसे लेके चले जाना वो मान जाता है। gareeb ladke ki kahani
जैसे वो घर के अंदर रखता है। उसकी चाची और चचेरे भाई दिखाई पड़ते है।
घर में हेमू अपनी चाची और चचेरे भाई से कभी नहीं मिला था। इसलिए वह इन सभी को भी देख कर भी नहीं पहचान पाया फिर वह अंदर गए और उसके चाचा उसे हाथ मुंह धुलाई और दोनों बैठ कर खाना खाए खाने के बाद हेमू हाथ धोने
चला गया तभी उसके चाचा अपनी पत्नी से बोले कुछ मिठाइयां पैक कर देना उनकी पत्नी ने पूछा क्यों अरे राणा भाई के घर जाउगा।
तो उनके बेटे से मिल भी लूंगा और मिठाइयां भी खिला दूंगा बेचारा अकेले होगा
तभी हेमू अपने पिता का नाम सुनकर दौड़कर आया और बोला राणा तो मेरे पिता
का नाम है। आप मेरे पिताजी को कैसे जानते हैं। तभी उसके चाचा बोले राणा मेरी बड़े भाई का नाम है। हेमू वो जो नदी के पास रहते है। यह सुनकर उसके चाचा उसे अपने गोद में उठालिया और दोनों चाचा और भतीजा रोने लगे हेमू
की चाची ये सब देख रही थी।
और मन में आग बबूला हो रही थी। और तभी तोड़ कर आई और हेमू को घर से बाहर निकाल दिया। तभी हेमू के चाचा कुछ देर बाद घुमने के बहाने बाहर निकले
और हेमू को ढूंढते हुए हेमू के पास पहुंचे और हेमू से बोले बेटा तुम्हारी ऐसी हालत कसे हो गई जो तुम्हारे पास तो जो खेती करने वाली जमीने है।उसमे
कुछ अनाज बोकर अपना पेट क्यों नहीं भरा यह सब सुनकर हेमू बहुत खुश
हुआ कि उसके पास इतनी जमीने है।
फिर निराश होकर अपने चाचा से बोला यह अगर खेत है। भी तो क्या पैसे तो नहीं है। न कि बीज खरीद कर उष्मे बो सकु उसके चाचा उसे ले गए उसे खेत दिखाया और उसे कुछ पैसे देकर वहा से चले गए । फिर तभी बहुत तेज बारिश होने लगी
और हेमू देड़कर अपने घर गया और देखा की उसकी जो छत थी। उसमे से पानी
चू रहे थे। तभी बाहर से एक कुत्ता कापते हुए। हेमू के घर में आया और बैठ गया
जब बारिश बंद हुआ। तो हेमू कबाड़ी वाले के पास जा रहा था कि वह सस्ते में वह कुदाल और हल ले शकेकी अपनी खेती कर सके हेमू जैसे कदम बडा रहा था।
कुत्ता भी वैसे कदम बडा रहा था। तभी हेमू ने कुत्ते को देखा और अपने पास बोलाया और हेमू के पास 2 रोटी थी। उसने उस कुत्ते को रोटी दे दिया फिर हेमू और कुत्ता साथ गए और हल और कुदाल लेकर आए दोनों मिल कर खेत को जोता हेमू हल को खींचता और कुत्ता पीछे पीछे खेतों में अपने हाथो से साफ़ करता ऐसी ही खेत में बीज डालकर फस्ल बड जाने पर आधी से ज्यादा रख लेता और थोड़ी – थोड़ी बेचकर अपना पेट भरता ऐसे ही दिन जाते रहे और हेमू के पास और बहुत जमीने हो गई।
हेमू अमीर हो गया। उसकी सादी हो गई बच्चे भी हो गए। और महीने -महिने
उसके चाचा उसे मिलने आते थे । अब उसकी चाची उससे नहीं जलती थी।
अब तो वो खुद कभी कभी हेमू से मिलने आती थी। ऐसे ही दिन चलते गए सारे खुशी खुशी रहने लगे।..