do murkh aadmi kahaniya in hindi with moral
एक बार की बात है एक राज्य नगर नाम का एक गांव था उस गांव में दो पति पत्नी रहा करते थे वह दोनों बहुत ही गरीब थे पर उनके पास उनकी पुरखों की दी हुई 2 एकड़ जमीन थी लेकिन उसमें बीज खाद के पैसे नहीं थे इसके कारण एक दूसरे से लड़ते रहते थे पति का नाम नरेश था do murkh aadmi kahaniya in hindi with moral
और पत्नी का नाम कम्मो था वे दोनों कभी भी मिलकर नहीं रहा करते थे एक बार क्या हुआ कि किसी बात को लेकर लण रहे थे तभी उनका पड़ोसी मन्दु आया और उन दोनों को लड़ता देख बहुत खुश हुआ और उन्हें यहां से भगाने की तरकीब निकालने लगा इसलिए कि वह दोनों यहां से
चले जाएंगे तो यह उन दोनों की खेत अपने नाम करवा लेगा फिर वह दोनों से बोला आप दोनों की लड़ने की वजह आप दोनों का एक साथ रहना है
एक काम करिए यहां से कुछ ही दूर पर एक पहाड़ है उस पहाड़ के किनारे एक नदी बहती है उस नदी के जस्ट उस पार एक साधु संत रहते हैं आप उनके पास चाहिए आपके लड़ने झगड़ने का उपाय बताएंगे कि कैसे आप लोग साथ रह सकते हैं जगह तो मनु ने सही बताई थी लेकिन नदी के
किनारे साधु संत नहीं एक राछश रहता था मनु की बात मान करवा दोनों निकल पड़े साधु के पास जाने के लिए उन्होंने कई दिन तक यात्रा की और वहां
उस जगह पहुंच गए वहां पर लेकिन नदी किनारे एक कुटिया के बदले एक डरावना सा गुफा दिखा लेकिन वह दोनों पति-पत्नी डरे नहीं और उसमें चले
गए उस में जाने के बाद उन्होंने देखा कि वहां पर एक बड़ा सा डरावना राक्षस सोया हुआ है यह देखकर दोनों डर गए तभी डर से नरेश की पत्नी कम्मो गिर गई और प्रणाम से अवाज आई और राक्षस उठ गया कभी नरेश दौड़कर एक बड़ी सी चट्टान के पीछे छुप गया उसकी पत्नी कम्मो
वही पर रह गई कम्मू को देखकर राक्षस बहुत खुश हुआ उसने कई दिनों से किसी इंसान का मांस नहीं खाया था वह जैसे ही कम्मो को खाने गया कम्मो का पति नरेश यह देखकर बहुत ही निराश हुआ अपनी दुश्मनी भुलकर एक बड़े से चमकता हुआ मणि उठाकर राक्षस के सर पर मार दिया
और मणि फूट गई तभी वह मणि फुटते ही उसमें से एक राछसी निकली यह देखकर राक्षस बहुत खुश हुआ और नरेश की पत्नी को छोड़ दिया और नरेश को तोहफे के तौर पर बहुत सारी सोने की मोहरे दी यह देखकर नरेश राक्षस से पूछा यह कैसे हुआ आपकी पत्नी एक मणि में बंद कैसे हो गई
तभी राछश ने बताया कि एक बार घूमते हुए उसकी बीवी ने एक साधु के घर में घुसकर पानी पी लिया था यह देख कर एक राक्षसी जो मांस खाती है
वह साधु के घर में पानी कैसे पी सकती है इसकी वजह से साधु ने श्राप दिया था कि जब तक कोई व्यक्ति आकर इस मणि को उसके पति के ऊपर ना फोड़े तब तक
उसकी पत्नी आजाद नहीं हो सकती है इतना सुनने के बाद सोने की मोहरे लेकर दोनों पति पत्नी घर आ गए और उसके बाद कभी लड़ाई नहीं की क्योंकि उनकी गरीबी अब खत्म हो गई थी इसे कहते हैं अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मारना